सोच पर काबू पाना ही कठिन है तो रोकना कितना ज़्यादा!!! अच्छे-बुरे, सही-ग़लत, अपने-पराए और न जाने कौन-कौन से विचार मन को हिलाए रहते हैं!
टैग: मन, सतरंगी भाव, सोच
सोच पर काबू पाना ही कठिन है तो रोकना कितना ज़्यादा!!! अच्छे-बुरे, सही-ग़लत, अपने-पराए और न जाने कौन-कौन से विचार मन को हिलाए रहते हैं!
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सितम्बर 27, 2008 को 19:42 |
sahi ann ka bhagna kabhi rukta nahi